दलित समाज में लोकनाट्य, कला तथा लोकगीतों की परंपरा रची-बसी रही। सबका इतिहास है, सबकी संस्कृति। सवर्णों के त्योहारों के बहाने उनमें हिंदू परंपराओं का प्रवेश कराया गया। उनके नायकों को खलनायक बना दिया गया। दक्षिण में दलित महिलाओं को देवदासी और उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश में बेडऩी नाम से उन्हें वेश्या बना दिया गया