बड़वानी जिले के जयस संगठन के प्रभारी राजू पटेल के मुताबिक पांचवीं अनुसूची का विरोध करने वाले संगठनों के अधिकतर लोग आरएसएस से जुड़े हुए हैं। आरएसएस के लोग आदिवासी क्षेत्रों में धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और षड्यंत्र के तहत आदिवासियों की संस्कृति, रीति-रिवाजों पर हमला कर रहे हैं।
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मध्य प्रदेश सरकार राज्य के आदिवासी बहुल एवं पिछड़े क्षेत्रों के 20 हजार से अधिक स्कूलों एवं कॉलेजों को बंद करने की तैयारी कर रही है। इसके विरोध में बीते 4 फरवरी को एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सभी वक्ताओं ने कहा कि जब तक पांचवीं अनुसूची का अनुपालन नहीं होगा, आदिवासी बहुल इलाकों की हालत में सुधार नहीं होगा।
युवा आदिवासी नेता व विधायक डा. हिरालाल अलावा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है। उनका कहना है कि अनुसूचित क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून का पालन नहीं होने से आदिवासियों का विकास नहीं हो सका है। राजन कुमार की खबर
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया आदिवासी नायकों को याद कर रही हैं। वह पांचवी अनुसूची को लेकर भी बयान दे रही हैं। जबकि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कभी भी आदिवासियों की सुध नहीं ली। ये आदिवासी नायक कौन हैं और क्यों याद कर रही हैं वसुंधरा राजे सिंधिया, बता रहे हैं कुमार समीर :
With an eye on the upcoming assembly elections, Vasundhara Raje is commemorating Adivasi heroes. She has also got the Union Cabinet to approve the inclusion of Adivasi areas of the state in the Fifth Schedule of the Constitution. At the polling booth, will the Adivasis remember this late shower of benefits or Raje’s usual indifference? Asks Kumar Sameer
आदिवासी समाज के आत्मसम्मान, अस्मिता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए युवाओं को राजनीति में आना पड़ेगा। क्योंकि पिछले 70 वर्षों से आदिवासियों के नाम पर ऐसे प्रतिनिधि चुने जा रहे हैं, जिनका आदिवासी मुद्दों से गहरा सरोकार नहीं है। आदिवासी युवाओं के नाम हीरालाल अलावा का पत्र :
Adivasis have to step up to protect the Constitutional rights of their community. Their representatives in the assemblies and Parliament over the past 70 years have failed them. Hiralal Alawa writes an open letter to the Adivasi youth
राजस्थान विधानसभा चुनाव के ठीक पहले छात्र चुनाव में ‘भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा’ ने दक्षिणी राजस्थान के अधिकतर कॉलेजों में एकतरफा जीत हासिल करके सबका ध्यान आकर्षित किया है। आगामी विधानसभा चुनाव में कितना प्रासंगिक रहेगा ‘भील प्रदेश’ का मुद्दा, जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
मध्यप्रदेश के कुछ आदिवासी संगठनों ने युवा अादिवासियों के संगठन ‘जयस’ की राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बना ली है। ये सामाजिक संगठन जयस का विरोध भी नहीं कर रहे हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से उसके साथ भी नहीं हैं। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
जयस का मानना है कि भाजपा-कांग्रेस जैसे मौजूदा दलों ने आदिवासी समुदाय को केवल प्रतिनिधित्व दिया, नेतृत्व नहीं दिया। ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ का नारा कितना प्रभावी होगा, जानने के लिए पढ़ें फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट
झारखंड पुलिस पर फर्जी मुकदमा करने और निर्दोष आदिवासियों को फंसाने का आरोप लग रहा है। पुलिस का कहना है कि उसके पास पक्के सबूत हैं। लेकिन जमीनी मुआयना करने गयी दस सदस्यीय टीम ने पुलिस के दावों को खारिज किया है। बता रहे हैं विशद कुमार :
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आत्मसम्मान और संवैधानिक अधिकारों के मुद्दों पर आदिवासियों को संगठित करने वाला जयस मध्यप्रदेश में तीसरे मोर्चे के रुप में उभर रहा है। भाजपा-कांग्रेस को डर है कि आदिवासी वोटबैंक कहीं जयस के साथ न चला जाए। बता रहे हैं राजन कुमार :