राम लखन चंदापुरी भारतीय समाज के सभी दलित, आदिवासी, पिछड़ा और धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यकों को पिछड़ा-बहुजन समाज मानते थे। उन्होंने देश को आजादी मिलने के बाद असमतावादी व्यवस्था के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ा। नवल किशोर कुमार बता रहे हैं कि यह बहुजनों का मुक्ति संग्राम था जो तब से लेकर आज तक देश के सामाजिक-राजनैतिक परिवर्तन की दिशा का निर्धारण कर रहा है