किरोड़ीमल कॉलेज परिसर में आयोजित दलित साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन दूसरे और आखिरी दो सत्रों में दलित साहित्य के बढ़ावे और जन आंदोलन की जरूरत पर जोर दिया गया। साथ ही सामाजिक आंदोलनों में स्त्रियों की भूमिका न के बराबर होने पर भी चिंता व्यक्त की गई। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट