उन्मेष के दोनों कविता-संग्रहों में ‘छिछले प्रश्न : गहरे उत्तर’ कविता को छोडकर, जिसमें ‘कौन जात हो भाई’ के अंतर्गत चुनाव के बहाने दलित-व्यथा की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है, दूसरी कोई कविता जातीय दंश की नहीं है, जो उन्हें ओमप्रकाश वाल्मीकि और मलखान सिंह जैसे सशक्त दलित कवियों की परंपरा से जोड़ सके। बता रहे हैं कंवल भारती