यह कांशीराम के सतत आंदोलन का ही परिणाम था कि दलित, आदिवासी, पिछड़े और मुसलमान अपने हक-हुकूक के लिए जागरूक हुए। जब यह आंदोलन चल रहा था तब लोगों का नारा था – ‘कांशी तेरी नेक कमाई, तूने सोती कौम जगाई।’
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कांशीराम का जीवन स्वयं में एक आंदोलन है। एक ऐसा आंदोलन जिसने उत्तर भारत के बहुजनों की सोच को नया आयाम दिया। उन्हें ताकत दी और बताया कि 85 फीसदी बहुजन कैसे इस देश के संसाधनों पर अपना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। उनके जीवन और योगदान के बारे में बता रहे हैं अलख निरंजन
सपा में नेतृत्व के स्तर पर अखिलेश यादव के सजातीय लोगों को छोड़ दिया जाये तो अन्य लोगों का प्रतिनिधित्व कम है। पिछड़े और वंचित वर्ग से हमदर्दी का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी का यह रूप बहुत कुछ कहता है। बता रहे हैं जुबेर आलम
रजनी तिलक द्वारा मानवीय मूल्यों के साथ जीवन के हर संघर्ष को किसी चुनौती की तरह स्वीकारना तथा उनकी प्राप्ति के लिए लड़ना उनका सहज मानवीय गुण रहा। इसलिए शायद वे ‘लड़ाकी’ जैसे उपनाम से भी सुशोभित रहीं। बता रही हैं पूनम तुषामड़
राजनीति में वैचारिक स्पष्टता जरूरी है। फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार के साथ प्रकाश आंबेडकर की विस्तृत बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बसपा और बामसेफ की राजनीति शुरू से ही फेल थी। ये दोनों आंबेडकराइट आइडियोलॉजी से कभी जुड़े नहीं। प्रस्तुत है इस लंबेी बातचीत का संपादित अंश
लेखक जुबैर आलम सवाल उठा रहे हैं कि किस प्रकार सपा और बसपा जैसी पार्टियों ने मुसलमानों के वोटों का केवल सत्ता के लिए इस्तेमाल किया। जबकि उनके सवाल सवाल ही रहे
भारतीय राजनीति में ओबीसी का प्रभाव 2009 में ही कमजोर पड़ने लगा। लेकिन 2014 में मोदी लहर ने मंडल राजनीति को अप्रासंगिक बना दिया। इस बार हुए चुनाव में यह साबित हो गया कि सवर्णों का स्वर्ण युग वापस आ गया है
आरक्षण का मकसद शासन व प्रशासन में उनकी हिस्सेदारी को बढ़ाना है जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े रहे हैं। यह गरीबी उन्मूलन नहीं, बल्कि प्रतिनिधित्व बढ़ाने का उपक्रम है। जैसे रक्षा और विदेश नीति के मामले में सभी राजनैतिक दल एकमत होते हैं, आरक्षण के सवाल पर भी उन्हें एक राय बनानी चाहिए। जाति के आधार पर तुष्टिकरण के परिणाम अबतक नकारात्मक रहे हैं
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना के कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में बसपा प्रमुख ने कहा है कि यह भाजपा की साजिश है। वहीं उन्होंने भीम आर्मी पर बिकाऊ होने का आरोप लगाया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
हम देश भर के बहुजन समाज के लोगों व संगठनों से अपील कर रहे हैं कि वे अपने बैनर, पोस्टर व अस्तित्व को बनाए रखते हुए एक छतरी के नीचे आएं, ताकि बहुजन समाज की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ी जा सके। बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम से विशेष बातचीत :