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आखिर आजादी के 70 वर्षों बाद भी ओबीसी समाज अपना हक क्यों नहीं प्राप्त कर पाया?

ओबीसी का बहुलांश हिस्सा न केवल सामाजिक-शैक्षणिक तौर पर पिछड़ा है, बल्कि संपत्ति और साधन विहीन भी है। इस समुदाय के एक बडे हिस्से के पास कोई हुनर भी नहीं है। आजादी के बाद निरंतर इसकी उपेक्षा हुई, इसके कारण क्या हैं, इस पर रोशनी डाली है, पी.एस. कृष्णनन ने :

'Reservations will unlock India’s huge untapped potential'

P.S. Krishnan, former secretary and ardent supporter of reservations, cites the examples of Japan, South Korea and Singapore to show what lies at the end of the road to social justice

भारत के पिछड़े वर्गों और क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों और उनके सरोकारों को नए परिप्रेक्ष्य से देखने और गहराई से समझने का प्रयास है फॉरवर्ड प्रेस. चुप कर दिए गए बहुसंख्यक दलितबहुजनों की आवाज़ है फॉरवर्ड प्रेस. हमारे मिशन के बारे में अधिक जानें

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ISSN: 2456-7558
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