हिंदी साहित्य लेखन आज भी मगही के उस प्रारंभिक दौर के लेखन तक नहीं पहुंच सका है, क्योंकि वहां ब्राह्मणवादी मानसिकता वालों का हर जगह वर्चस्व कायम है। और स्वयं मगही में साहित्यिक लेखन का अधिकांश आज इसी यथास्थितिवाद में गर्क है। बता रहे हैं युवा समालोचक अरुण नारायण