बाबा साहेब ने संविधान की रचना से पहले ही भारतीय सामाजिक व्यवस्था के जड़ में लगे घुन को खत्म करने की ठान ली थी। वे इसका इलाज भी जानते थे और इसकी अभिव्यक्ति ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ के रुप में सामने आयी थी। फारवर्ड प्रेस बुक्स ने उनके कालजयी भाषण का हिंदी अनुवाद ‘जाति का विनाश’ मुकम्मिल स्वरूप में प्रस्तुत किया है। बीते दिनों इसका लोकार्पण किया गया
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