इनुइट समुदाय के लगभग 1,50,000 बच्चों को 19वीं शताब्दी के अंत से लेकर 1970 के दशक तक जबरन कनाडाई और ईसाई परिवेश में लाने के लिए चर्च के आवासीय स्कूलों में रखा गया था। यद्यपि यह कोई सीधे-सीधे मानवीय जनसंहार नहीं था, क्योंकि हमारे अपने देश में सामूहिक जनसंहार की घटनाएं आम हैं, फिर भी पोप द्वारा माफ़ी मांगना ईसाईयत की दया, करुणा और प्रायश्चित जैसे गुणों को दिखलाता है। बता रहे हैं स्वदेश कुमार सिन्हा