ब्राह्मणों का कहना है कि धर्मशास्त्रों में जो लिखा है, वह ब्रह्म-वाक्य है और वह सत्य-सनातन यानी हर युग के लिए है। इस बात की परवाह किए बिना कि इन दोनों महान संतों (वेल्लुवर और अव्वई) ने क्या कहा है, या उनके विचारों में झूठ/सच की परवाह किए बिना, व्यक्ति को यह बात मान लेनी चाहिए कि इन विधि-संहिताओं (नीति-ग्रंथों) की रचना उस दौरान हुई थी, जब आर्य इस भूमि पर छा चुके थे। पढ़ें, पेरियार का यह आलेख