उस दौर में जब स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त करना ही पाप माना जाता था, तब ऐसे में पढ़ाने जैसा कार्य करने के लिए सावित्रीबाई फुले को सामाजिक और पारिवारिक तमाम तरह के विरोधों का सामना करना पड़ा। समरण कर रही हैं डॉ. संयुक्ता भारती
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