मेरे लिए भारत न कोई माता है न पिता ,न सुजलाम-सुफलाम् है, न वन्दे मातरम् जैसा; मेरा भारत यहाँ के लोग हैं, फावड़ा चलाते किसान-और हथौड़े चलाते मजदूर हैं, वे बच्चे हैं, जो उल्लास के साथ कूदते-फांदते स्कूल की ओर भाग रहे हैं। धान रोपती, बर्तन मांजती, भेंड़-बकरी चराती, बच्चों को संभालती महिलाओं में मुझे भारत का मातृ रूप दिखा है