भिखारी ठाकुर ने जब अपना नाच शुरू किया तब धर्म एवं धार्मिक कथाओं आधारित बिदापत नाच, रामलीला, रासलीला के साथ-साथ राजा-महाराजा के कहानियों से लैस नौटंकी विधा का चलन था। उस समय समाज में जाति और सामंती वर्चस्व, औपनिवेशिक विस्थापन सबसे बड़ी समस्या के रूप में विद्यमान थीं। बता रहे हैं जैनेंद्र दोस्त