हिंदुत्व की अवधारणा के पैरोकार बी.डी. सावरकर ने एक समय हिंदुओं के बीच गोमांस खाने का आंदोलन चलाया था। सावरकर को प्रतीत होता था कि गोमांस खाने वाली जातियां क्रिश्चन और मुस्लिम दुनिया के अनेक हिस्सों में राज कर रही हैं और हिंदू कमजोर हैं, क्योंकि वे मांस भक्षण नहीं करते। इस लेख को पढ़ते समय मुझे फिर जे.एन.पी. मेहता याद आए। वे पिछड़ी जातियों-किसानों, मजदूरों की आनेवाली पीढिय़ों की चिंता कर रहे थे। वे उन्हें अंडा, मछली खाने की सलाह देते थे