यह योजना 2009 के आम चुनाव में यूपीए के पुनर्विजयी होने के अनेक कारणों में से एक था। लेकिन 2014 में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने पहली ही बार सत्ता में आने के बाद इस महत्वपूर्ण योजना, जिसने श्रम बाज़ार में मज़दूरों की मज़दूरी और उनके महत्व को एकाएक बहुत बढ़ा दिया, की उपेक्षा शुरू कर दी। बीते 2-4 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर मजदूरों के प्रदर्शन के बारे में बता रहे हैं स्वदेश कुमार सिन्हा