यह समझा जाता है कि शिक्षा शेरनी का दूध है और जो पिएगा वह दहाड़ेगा लेकिन नए हालात में क्या हो रहा है? वास्तविकता तो यह है कि इस शेरनी को ही पूंजीपतियों ने पालतू बना लिया है और इसके दूध को मनमाने दाम पर बेच रहे हैं। वे नहीं चाहते कि यह दूध किसी को मुफ्त मिले। रामजी यादव का विश्लेषण