ओमप्रकाश कश्यप बता रहे हैं सगुणाबाई क्षीरसागर के बारे में। उन्होंने बालक जोतीराव फुले को पाला-पोसा तथा सावित्रीबाई फुले को शिक्षा ग्रहण के लिए प्रोत्साहित किया
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जातिगत जनगणना को लेकर देश भर में मांग उठने लगी है। महाराष्ट्र के बाद ओडिशा सरकार ने इसके लिए पहल किया है। परंतु, केंद्र सरकार का अड़ियल रवैया कायम है। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बारे में बता रहे हैं कमल चंद्रवंशी
कम लोगों का ही ध्यान सावित्रीबाई फुले के पत्रों पर जाता है। सिद्धार्थ लिखते है कि सावित्रीबाई फुले के पत्रों में व्यापक समाज की चिंता, इंसानियत के प्रति गहरे प्रेम, अन्याय के प्रति तीखे विद्रोह, जातिवादी मानसिकता के खिलाफ आक्रोश और समता-आधारित समाज की आशाएं अभिव्यक्त हैं
Savitribai Phule’s letters are still relatively unknown. They demonstrate her concerns for society, love for humanity, revolt against injustices, anger against the casteist mindset and hope for building an egalitarian society, writes Siddharth
ज. वि. पवार की यह किताब मूल रूप से मराठी में थी, जिसका अंग्रेजी अनुवाद पिछले वर्ष फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया था। महज एक वर्ष के अंदर ही इसके दो संस्करण निकाले जा चुके हैं। अब इसे हिंदी में प्रकाशित किया गया है। सिद्धार्थ बता रहे हैं हिंदी के पाठकों के लिए इस किताब के महत्व के बारे में
J.V. Pawar had originally written this book in Marathi. Its Hindi translation, published by the Forward Press, is already in its second edition. Now, Forward Press has released the Hindi edition
दलित पैंथर के सह-संस्थापक ज.वि. पवार बता रहे हैं कि पहली बार उन्होंने कब डॉ. आंबेडकर को जाना। मुंबई मिरर की संपादक मीनल बघेल से बातचीत में पवार यह भी बता रहे हैं कि वे कैसे नौका से बम्बई पहुंचे, कैसे उन्होंने अपना जीवनयापन किया और किस तरह वे एक सामाजिक कार्यकर्ता बने. और यह भी कि शिवसेना का उदय कैसे हुआ
छगन भुजबल और नीतिन राउत ने शपथ लेते समय तथागत बुद्ध, जोतीराव फुले, डॉ. आंबेडकर और सावित्रीबाई फुले का स्मरण किया। यह इस बात का ऐलान भी साबित हुआ कि महाराष्ट्र में सरकार बदल चुकी है
बम्बई हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मराठा राजनीतिक रूप से सशक्त, लेकिन सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हैं। इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जा सकता है। हालांकि अदालत ने सरकार के 16 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव में संशोधन किया है
राज्य सरकार यह जान चुकी है कि अदालत में मराठों के लिए 16 फीसदी आरक्षण का टिक पाना मुश्किल है, इसलिए वह उन्हें ओबीसी में शामिल करने को लेकर विचार कर रही है। महाराष्ट्र के ओबीसी समुदाय के लाेगों ने इसके खिलाफ संघर्ष यात्रा की शुरूआत की है
ढसाल साहब बहुत ही डोमिनेटिंग व्यक्तित्व के स्वामी रहे, जिनके सामने आने पर बड़े से बड़े लोग भी निस्तेज हो जाया करते थे। किन्तु एक खास बात यह थी कि उनके चेहरे पर सब समय एक ऐसी मुस्कान रहती थी, जिसके नीचे एवरेस्ट सरीखा बुलंद आत्मविश्वास और करुणा का अपार सागर हिलोरें मारते रहता था
महाराष्ट्र में लंबे समय से चल रहे मराठा आरक्षण को लेकर हाे रही बहस पर आगामी 29 नवंबर को विराम लग जाने की उम्मीद है। हालांकि, सत्तासीन भाजपा के साथ ही कांग्रेस और राकांपा भी इसे लेकर उत्साहित हैं। इनके बीच श्रेय लेने की होड़ मची है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics