मेरा मत है कि दलित युवतियों के साथ होने वाले अन्याय को रोकने के लिए न्याय और क़ानूनी कार्यवाही कि मांग करने के साथ साथ हमें कुछ अन्य महत्वपूर्ण मांगें भी करनी चाहिए, जिनसे दलित समाज और दलित महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें। बता रही हैं पूनम तुषामड़
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