मानगढ़ धाम 17 नवंबर, 1913 की उस घटना का साक्षी है जिसमें अंग्रेजों ने पंद्रह सौ से अधिक आदिवासियों की जान ले ली थी। लेकिन इतिहास में इसका जिक्र तक नहीं है। क्या इस घटना की उपेक्षा इसलिए की गई क्योंकि इसमें शहीद हुए लोग आदिवासी थे जबकि जालियांवाला बाग में मारे गए लोग गैर-आदिवासी थे? सवाल उठा रहे हैं जनार्दन गोंड