इस काल्पनिक पत्र के माध्यम से सिद्धार्थ बता रहे हैं कि कांशीराम के अनुसार राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना अपने आप में कोई लक्ष्य है ही नहीं। यह तो सिर्फ एक उपकरण है मनुवादियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सत्ता को उखाड़ फेंकने का और बहुजनों की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मुक्ति का रास्ता प्रशस्त करने का