मैं कल्पना करती थी कि काश कभी लड़कियां जींस पहनें। अपने सामने ही मैंने इस कल्पना को साकार होते देखा, मगर सिर्फ कपड़े बदले, मानसिकता नहीं। सोच के स्तर पर लड़कियां आज भी वहीं खड़ी हैं, जहां उन्नीसवीं सदी में थीं। आज मॉर्डन लुक में लड़कियां जींस के साथ करवाचौथ मना रही हैं, चूड़ा पहन रही हैं। आधुनिक कपड़ों के साथ सोच के स्तर पर भी आधुनिकता की जरूरत है