जंगलराज या ग़ुंडाराज जैसे शब्दों को पिछड़ी या दलित जातियों के प्रभुत्व वाली सरकारों के पर्यायवाची के तौर पर लोगों के दिमाग़ में गहरे तक बैठा दिया गया है। लालू, मुलायम के बाद अखिलेश और जयंत ग़ुंडाराज के नए प्रतीक बनाए जा रहे हैं। बता रहे हैं सैयद जै़ग़म मुर्तजा