इसके पहले किसानों के जितने भी आंदोलन हुए, उन्हें ऊंची व दबंग जातियाें के किसानों का आंदोलन कहा गया। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस आंदोलन में सभी तबके के किसान शामिल हैं। फिर चाहे वे दलित हों, अति पिछड़े वर्ग के हों। यह एकजुटता महत्वपूर्ण है
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अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले हजारों किसान बीते 30 नवंबर 2018 को दिल्ली में एकत्रित हुए और संसद मार्ग तक मार्च निकालकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। इस अवसर पर विपक्षी दलों के नेता भी किसानों के साथ नजर आए। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
अभी हाल ही मैंने अपने साथियों के साथ बिहार में कार्यरत मीडिया संस्थानों की जातीय बनावट को लेकर काम करना शुरू किया। मेरा यह काम अभी काफी प्रारंभिक अवस्था में है। लेकिन इसके जो संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार मीडिया में अन्य पिछडा वर्ग की नयी पौध बहुत तेजी से आगे आ रही है
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