रख्माबाई को भले ही तब इंसाफ ना मिला हो, लेकिन उन्हें पितृसत्ता से मुक्ति जरूर मिली। हालांकि इसके लिए उन्हें दो हजार रुपए बतौर मुआवजा अपने पति भीकाजी को देने पड़े। इसके बावजूद जो लड़ाई उन्होंने अदालत के अंदर और अदालत के बाहर लड़ी, वह उस समय बहुत बड़ी लड़ाई थी। और इस मामले में नजीर कि रख्माबाई भारत की पहली महिला चिकित्सक बनीं। पढ़ें, रख्माबाई के जीवन की यह गाथा