पहले नोटबंदी, बाद में जीएसटी और अब कोरोना के कारण बुनकरों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उनके सामने राेजी-रोटी का संकट है। क्या यह संभव नहीं है कि सरकार इनके सवालों पर गंभीरतापूर्वक और सहानुभूतिपूर्वक विचार करे? सवाल उठा रहे हैं जुबैर आलम
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