फॉरवर्ड प्रेस पत्रिका से प्रभावित होने का कारण था उसके द्वारा बहुत सी स्थापित मान्यताओं पर सवाल उठाना, उनकी वैधता को चुनौती देना। इस तरह के लेखों से मुझे एक नई बौद्धिक उत्तेजना महसूस हुई। वस्तुतः फॉरवर्ड प्रेस ने वर्तमान दौर में दलित-बहुजन बुद्धिजीवियों के बीच जैसे एक बौद्धिक नवजागरण की शुरुआत की है