विश्वविद्यालयों में विभागवार आरक्षण के खिलाफ़ विरोध देश की राजधानी दिल्ली से निकलकर रांची और बनारस जैसे छोटे और मीडिया के अटेंशन से दूर के शहरों और कस्बों में फैलने के साथ ही उग्र व्यापक और देशव्यापी होता जा रहा है
–
केवल 25 वर्ष के बिरसा मुंडा की हत्या अंग्रेजों ने धीमा जहर देकर कर दी थी। इसके पहले ही वे आदिवासियों में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चे पर आंदोलन का आगाज कर चुके थे। यही वजह रही कि उन्हें धरती आबा यानी धरती का पिता कहा जाने लगा था। बिरसा जयंती पर विशेष लेख :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
गरीब आदमी को पैसा चाहिए या अनाज? झारखंड सरकार ने पिछले ही साल रांची के नगड़ी प्रखंड में गरीब आदिवासियों को अनाज के बदले पैसा देने की योजना प्रारंभ की। एक साल के अंदर ही उसे अपना फैसला वापस लेना पड़ा। ऐसा क्यों हुआ? फारवर्ड प्रेस की एक खबर :
This post is only available in Hindi.
Visit the Forward Press Facebook page and and follow us on Twitter @ForwardPressWeb
20 जुलाई 1942, भारतीय इतिहास का एक अविस्मरणीय दिन है। इस दिन एक अछूत परिवार में जन्मे डा. बी.आर. आंबेडकर को वायसराय की कार्यकारिणी का श्रम सदस्य नियुक्त किया गया
“The Damodar Valley Project was the brainchild of Ambedkar. It was he who made it a reality. He worked hard for getting the project implemented and freed Bihar, Orissa and Bengal from a scourg. But we do not even remember his contribution”