उत्तर भारत में ओबीसी के लिए आरक्षण का सबसे पहला प्रावधान कर्पूरी ठाकुर ने किया था। इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी गंवानी पड़ी। इतना ही नहीं, उन्हें व्यक्तिगत तौर पर भद्दी-भद्दी गालिया दी गईं। लेकिन उनके इस निर्णय ने ओबीसी के लिए आरक्षण के प्रश्न को निर्णायक राजनीतिक प्रश्न बना दिया