जस्टिस ईश्वरैया के मुताबिक, 103वें संविधान संशोधन अधिनियम में संविधान के अनुच्छेद 46 की शर्तों को पूरा करने के लिए जिन उद्देश्यों और कारणों को गिनाया गया है, वे शरारतपूर्ण, संदिग्ध, और ग़लत हैं और ये सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों को हानि पहुँचाने वाले हैं