पूनम तूषामड़ बता रहीं हैं कि जातिगत द्वेष के जहर में डूबे शब्दबाण उन पर भी छोड़े जाते हैं जो दलित जातियों से आते हैं और उन पर भी जो इन जातियों से नहीं होते। दरअसल, शोषक व सामंती वर्ग गैर-दलितों को अपमानित करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग करता है।
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