‘जनता संसद’ में स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन का अधिकार, पर्यावरण और कृषि समेत दस से ज्यादा विषयों पर 200 से ज्यादा वक्ताओं द्वारा कुल मिलाकर लगभग 30 घंटे चर्चा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस आयोजन के समापन के बाद इसके द्वारा पारित प्रस्ताव, ज्ञापन के रूप में सरकार व सांसदों को भेजे जायेंगे । बता रहे हैं राजन कुमार
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लॉकडाउन के दौरान एक ओर प्रवासी मजदूर, जिनमें बहुलांश दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदायों के हैं, तमाम दुख झेल रहे हैं, वहीं इन समुदायों के जनप्रतिनिधि मौन धारण किए हुए हैं। डॉ. योगेंद्र मुसहर का विश्लेषण
राम पुनियानी बता रहे हैं संसद में लगे धार्मिक नारोें से देश की आबोहवा में उन्माद फैलता जा रहा है। जबरन जयश्री राम कहने के लिए लोगों को अमानवीय तरीके से मजबूर किया जा रहा है। उनके साथ हिंसा की जा रही है
Ram Puniyani writes how people, forced to chant ‘Jai Shri Ram’, are being subjected to brutal violence. Ironically, provocative, intimidating sloganeering in the ‘temple of democracy’ has added fuel to the fire
भाजपा सांसद डॉ. उदित राज ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती रूख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के बयान की आलोचना की तथा पदोन्नति में आरक्षण संबंधी फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी पर क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले का विरोध किया। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
बीते 26 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक एक दिन बाद सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने संसदीय समिति को एक टास्क सौंपा है। उसे यह विचार करने के लिए कहा गया है कि नौकरियों में एससी-एसटी को मिलने वाले आरक्षण में क्रीमी लेयर को लागू किया जा सकता है अथवा नहीं। फारवर्ड प्रेस की खबर
बैकफुट पर आते हुए केंद्र सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी बना दिया। लेकिन कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष ने लोकसभा में इसे नौवीं अनुसूची में रखने की मांग की ताकि सुप्रीम कोर्ट भी आसानी से बदलाव न कर सके। लोकसभा में हुई बहस का ब्यौरा दे रहे हैं बीरेंद्र यादव :
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चौतरफा घिर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार ने एससी, एसटी एक्ट को जस का तस बना दिया है। हालांकि केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे और प्रभावी बनाने की बात कही है। बीरेंद्र यादव की खबर
सरकारी नौकरियां कर रहे दलितों और आदिवासियों को पदोन्नति में आरक्षण मिले, इसके लिए पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार ने संसद में एक विधेयक पेश किया था। राज्यसभा में यह विधेयक पारित भी हो गया था लेकिन लोकसभा में यह ठंढ़े बस्ते में चला गया। इसे लेकर देश भर के एससी और एसटी संगठन आंदोलन की योजना बनाने हेतु दिल्ली में जुट रहे हैं। कबीर की खबर :
सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा एससी/एसटी एक्ट के संदर्भ में दिये गये एक फैसले के विरोध में सत्तारूढ भाजपा में भी बगावती स्वर तेज हो गये हैं। उत्तरप्रदेश के बहराइच सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले यह मानती हैं कि वे किसी पार्टी के लिए नहीं बल्कि संविधान की रक्षा के लिए संसद में हैं। फारवर्ड प्रेस के संपादक (हिंदी) नवल किशोर कुमार ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का संपादित अंश :
Even within the BJP, the party in power at the Centre, there are voices of disquiet about the recent decision of the Supreme Court with regard to the SC-ST Act, as this interview shows
यदि संविधान (123वां संशोधन) विधेयक कानून बन जाता है तो राज्य सरकारें किसी भी वर्ग को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित करने के अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित हो जाएंगी
If the Constitution (123rd Amendment) Bill becomes law of the land without further amendments, the states will be deprived of their Constitutional rights and power to declare any class as socially and educationally backward within the state