इस संग्रह में कवि बार-बार आदिवासियों की ओर देखता हैं, उनकी जिंदगी में झांकता है, उनके दुखों को अपनाता हैं, उनके संघर्षों के इतिहास को याद करता हैं और आज के दौर में जनविरोधी सत्ता द्वारा उनके खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों से व्याकुल होता है। पढ़ें, एन. के. नंदा के पहले काव्य संग्रह ‘जिंदा आदमी’ में संकलित डॉ. सिद्धार्थ की भूमिका का अंश