सिर पर मैला ढोने के प्रथा खत्म करने के लिए जातिवाद का खात्मा भी जरूरी है। आज भी देश के विभिन्न हिस्सों मे स्वच्छकार समाज सामाजिक तौर पर अलग-थलग है और उसके लिए जरूरी है कि इन समुदायों के लोगों का अलग-अलग क्षेत्रों मे प्रतिनिधत्व हो। बहस-तलब में पढ़ें विद्या भूषण रावत का यह आलेख