ब्रिटेन में इतिहास लेखन की एक परंपरा बन चुकी थी। भारत में जब अंग्रेज आये तब मुगलों का आखिरी दौर चल रहा था। कुछ दूसरे सामंत-नवाब भी थे। उन सबकी विलासिता चरम पर थी। समाज में एक नैराश्य पसरा पड़ा था। हिंदी लेखक प्रेमचंद ने अपनी कहानी ‘शतरंज के खिलाडी’ में इस प्रवृति की बेहतर व्याख्या की है