दलित पैंथर के सह-संस्थापक ज.वि. पवार बता रहे हैं कि पहली बार उन्होंने कब डॉ. आंबेडकर को जाना। मुंबई मिरर की संपादक मीनल बघेल से बातचीत में पवार यह भी बता रहे हैं कि वे कैसे नौका से बम्बई पहुंचे, कैसे उन्होंने अपना जीवनयापन किया और किस तरह वे एक सामाजिक कार्यकर्ता बने. और यह भी कि शिवसेना का उदय कैसे हुआ
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छगन भुजबल और नीतिन राउत ने शपथ लेते समय तथागत बुद्ध, जोतीराव फुले, डॉ. आंबेडकर और सावित्रीबाई फुले का स्मरण किया। यह इस बात का ऐलान भी साबित हुआ कि महाराष्ट्र में सरकार बदल चुकी है
बीते 25 नवंबर 2018 को तमाम प्रयासों के बावजूद विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना अयोध्या में भीड़ नहीं जुटा सकी। जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला टाले जाने के बाद संघ और भाजपा के नेताओं द्वारा उन्माद बढ़ाने वाले बयान दिए गए। बता रहे हैं सुशील मानव :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना के कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में बसपा प्रमुख ने कहा है कि यह भाजपा की साजिश है। वहीं उन्होंने भीम आर्मी पर बिकाऊ होने का आरोप लगाया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर गहमागहमी तेज हो गयी है। राजनीतिक दलों के बीच नये समीकरण बनने और बिगड़ने लगे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और भाजपा दो ही मुख्य दल मैदान में हैं। लेकिन राज्यों में इन दोनों दलों के तारणहार क्षेत्रीय पार्टियां हैं। आशीष रंजन का आंकड़ापरक विश्लेषण
With the general elections round the corner, the leading political parties, the Congress and the BJP, are making new friends and enemies. Both know that their junior partners hold the key. An analysis of past vote shares of the regional parties reveals why this is the case
1972 में शुरू हुआ दलित पैंथर्स आंदोलन महाराष्ट्र में दलितों के असंतोष और आक्रोश की सबसे मुखर अभिव्यक्ति थी। इस संगठन के बैनर तले दलितों ने सीधे जातिगत अत्याचार का प्रतिकार किया। दलित पैंथर्स के संस्थापकों में से एक जे.वी. पवार से ‘द वायर’ के लिए सिद्धार्थ भाटिया के साक्षात्कार का हिन्दी अनुवाद
In conversation with J.V. Pawar, one of the founders of the Dalit Panthers
मेरे लिए यह एक ईश्वरीय प्रेरणा ही थी कि मैं भारत लौटूं और मूक बहुजन बहुसंख्यकों को मंच उपलब्ध कराने के लिए एक द्विभाषी (अंग्रेजी व हिन्दी) पत्रिका शुरू करूं, जिसका विशेष फोकस उन किसानों और शिल्पकारों पर हो, जो ओबीसी का सबसे बड़ा हिस्सा हैं और जिनकी कोई आवाज ही नहीं है
To me the vision was very clear: to return to launch a bilingual (English and Hindi) magazine to provide a platform for the silenced Bahujan majority, with a special focus on the voiceless farmers and artisans, who make up the majority of the OBCs
इस पूरे चुनाव में दिल्ली के चुनाव नतीजे कुछ नया ही अर्थ देते हैं। 70 सीटों वाली विधान सभा में सत्तापक्ष कांग्रेस को कुल 8 सीटें मिलीं, भारतीय जनता पार्टी को 31 और बिल्कुल नई पार्टी-जो 6 महीने पहले एक एनजीओ आंदोलन के गर्भ से निकली है-ने 28 सीटें हासिल की हैं
The Delhi poll results stand out from those of other states. The ruling Congress could win only win 8 seats in the 70-member House. The Bharatiya Janata Party won 31 and a brand-new party – which emerged out of the womb of an NGO movement barely six months back – won 28 seats
विचारधारा तो जरूरी है ही लेकिन अपने देश में विचारधारा आधारित राजनीति कई बार धोखा खाती है, इसीलिए यहां कई बार व्यावहारिक राजनीति मात्र विचारधारा में शुष्कता के साथ बने रहने से नहीं होती। मैं या मेरी पार्टी विचारधारा तो छोडऩे वाली है नहीं। लेकिन अभी समय की मांग थी कि एक व्यावहारिक कदम नहीं उठाया जाए। रामदास अठावले से संजीव चंदन की विशेष बातचीत
Explaining why he chose to side with the BJP and Shiv Sena, RPI leader Ramdas Athawale tells Sanjeev Chandan ideology is important but in India, ideology-driven politics, on occasions, is taken for a ride, and practical politics becomes impossible. He says he has always been secular and always will be