युवा आदिवासी नेता व विधायक डा. हिरालाल अलावा ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है। उनका कहना है कि अनुसूचित क्षेत्र में पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून का पालन नहीं होने से आदिवासियों का विकास नहीं हो सका है। राजन कुमार की खबर
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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के सन्दर्भ में दिए गए फैसले का सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक दुष्प्रभाव समाज के कमजोर और उपेक्षित वर्गों के ऊपर सीधे तौर पर पड़ेगा। यह फैसला संविधान की मूल भावना का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन करता है। ओमप्रकाश कश्यप का विश्लेषण
लेखक हेसूस याचरेज बता रहे हैं कि आखिर आंबेडकर को हमेशा केवल संविधान के साथ ही क्यों दिखाया जाता है। उनके हाथों में कभी ‘जाति का विनाश’ या ‘बुद्ध और उनका धम्म’ क्यों नहीं होती?
It is strange that Ambedkar is depicted holding the Constitution and not, for instance, ‘Annihilation of Caste’ or ‘The Buddha and his Dhamma’
भारतीय संविधान में आदिवासी हिंदू की श्रेणी में रखे गए हैं। परंतु कानूनों में प्रावधान अलग हैं। इसका खामियाजा आदिवासियों को उठाना पड़ता है
जयपुर स्थित डॉ. आंबेडकर वेलफेयर सोसायटी में आज से तीन दिवसीय बहुजन साहित्य महोत्सव का आयोजन हो रहा है
सुप्रीम कोर्ट ‘सुप्रीम’ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को पहले राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में लगे मनु की मूर्ति के बारे में पूछना चाहिए। हाईकोर्ट में मनु की मूर्ति का होना न्याय के गाल पर तमाचा है। यह बात संविधान बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रो. रतन लाल ने कही
बसपा के विरोध व बहिष्कार के बावजूद भीम आर्मी ने देश भर में बहुजन समाज बनाओ रैली का आह्वान किया है। इसकी शुरुआत आगामी 19 नवंबर को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में होगी। दूसरी रैली का आयोजन 21 नवंबर को बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होगा। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
आरक्षण एक हथियार है सामाजिक गैर-बराबरी से उबरने का। हाशिये पर मौजूद लोगों को सबल बनाने लिए लिए यह न केवल जरूरी है बल्कि इसको और बढ़ाए जाने की जरूरत है। तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण को वैध ठहराना इस दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। पढ़िए यह रपट :
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वर्ष 2006 में एम नागराज मामले में पांच जजों की पीठ ने कहा कि राज्य पदोन्नति में एससी और एसटी को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है और एससी और एसटी पर क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं होगा। पर इस मामले में बीते 23 अगस्त 2018 को हुई बहस के दौरान पीठ ने पूछा कि क्या क्रीमी लेयर का सिद्धांत एससी और एसटी पर भी लागू हो सकता है या नहीं। पढ़िए यह रपट :
In 2006, a five-judge bench of the Supreme Court, delivering the judgment in the M. Nagaraj case, had ruled that the government is not bound to give reservation in promotions to the SCs and STs and also that the creamy-layer formulation cannot be applied to the two communities. Now, a decade on, another Supreme Court bench is considering a review of both those rulings
दलितों पर अत्याचार पूरे देश में सबसे अधिक होते हैं। एनसीआरबी द्वारा अद्यतन जारी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में दलितों के खिलाफ पूरे देश में 59834 घटनाओं की तुलना में संबंधित पुलिस द्वारा निष्पादित मामलों की संख्या केवल 6508 रही। एक वजह दलितों में कानून के बारे में जागरूकता का अभाव भी है। देश में कानून के बरक्स आत्मरक्षा के अधिकार को सविस्तार बता रहे हैं दीपक कुमार :
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