तमिलनाडु की दलित एवं पिछड़ी जातियों, जनजातियों के संदर्भ में, एकमात्र जाति-आधारित आरक्षण वह रास्ता है, जिसके माध्यम से समाज में सामाजिक-न्याय के लक्ष्य को यकीनन और पुख्ता तौर पर प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए कोयटंबूर स्थित पेरियारवादी पत्रिका ‘कात्तारू’ द्वारा तमिल में प्रकाशित पुस्तिका का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तिका का तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद टी. थमाराई कन्नन ने किया है
From the perspective of the oppressed and backward castes and tribes of Tamil Nadu, there can be no doubt that caste-based reservation is the way ahead to ensure social justice in society. Read below the translation of a booklet published in Tamil by Coimbatore-based Periyarite magazine ‘Kaattaaru’
गरीब सवर्णों के आरक्षण को मायावती से लेकर रामविलास पासवान और रामदास आठवले तक ने समर्थन किया है। इस प्रकार इस विधेयक ने दलित समुदाय के बीच से उठती आवाज़ों को एक किया है। इसके पीछे एक कारण है। दरअसल, देश में दलित नेतृत्व गरीब जनता द्वारा गरीब जनता के लिए है
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बहराइच सांसद सावित्रीबाई फुले का कहना है कि बिना किसी आधार के सवर्णों को आरक्षण देना दलित-बहुजनों के आरक्षण को खत्म करने की साजिश है। यह साजिश सफल नहीं हो, इसके लिए इसका पुरजोर तरीके से विरोध करने के लिए आगे आना होगा
यह संविधान सम्मत नहीं है। इसमें काफी अंतर्विरोध है और संविधान की मूल भावना को नष्ट करने की कोशिश है। प्रथम दृष्टया ही इसमें गड़बड़ी दिख रही है। मसलन पहले आयोग बनना चाहिए और उसकी रिपोर्ट आने के बाद इस तरह का फैसला लेना चाहिए। केंद्र सरकार का यह फैसला अदालत में नहीं टिकेगा
It is not in keeping with the Constitution. It has many internal contradictions and is an attempt to stifle the basic spirit of the Constitution. First, the government should have set up a commission and then arrived at a decision based on its report. But rushing the Bill in this manner won’t stand judicial scrutiny
गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के सवाल पर लोकसभा में वोटिंग हुई। वोटिंग में विधेयक के पक्ष में 323 और विरोध में केवल 3 मत पड़े। इस दौरान हुई बहस पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों को अपने अधीन सेवाओं में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का अधिकार होगा
संविधान संशोधन पर चर्चा के दौरान सभी पार्टियों के बहुजन तबकों से आने वाले सांसदों को 15(4) की शब्दावली के प्रति विशेष तौर पर सचेत रहना चाहिए। साथ ही यह भी आवश्यक है कि इसे आरक्षण नहीं, बल्कि सामान्य वर्ग में गरीबों को ‘प्राथमिकता’ देने का प्रावधान कहा जाए
During the discussion on the Constitutional Amendment Bill, the Bahujan MPs should be alert to the wording of the Article 15(4). It is also imperative that this provision be described not as reservation but as a priority scheme for the poor
आरक्षण शासन-प्रशासन मेंं सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रावधान है। अब आर्थिक आधार का बहाना बनाकर सवर्णों को आरक्षण देने की बात करना संविधान की मूल भावना के विपरीत है। जाहिर तौर पर केंद्र सरकार ऐसा सवर्णों में घटते अपने आधार बचाने के लिए कर रही है
लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने नाराज चल रहे सवर्णों को मनाने के लिए पासा फेंका है। केंद्रीय मंत्रिपरिषद के निर्णय के मुताबिक सरकार गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने के लिए संशोधन विधेयक लाएगी
With an eye on the upcoming Lok Sabha elections, the union government has moved to mollify savarnas. The Union Cabinet has approved the tabling of a Constitution Amendment Bill in Parliament to grant 10 per cent reservations to economically weak savarnas
एससी-एसटी एक्ट को लेकर केंद्र सरकार को सीधी चुनौती देने वाले ब्राह्मण संत देवकी नन्दन ठाकुर ने आरक्षण पर भी सवाल उठाया है। साथ ही उन्होंने समाज में द्विजों के वर्चस्व को जायज ठहराने की कोशिश भी की। उन्हें भारतीय सामाजिक व्यवस्था की सच्चाई से रूबरू करा रहे हैं कंवल भारती :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
संभवत: यह पहली बार है जब भारत बंद का आह्वान घोषित तौर पर ‘सवर्ण’ समुदाय की ओर से किया गया है। अन्यथा इससे पूर्व भारत का यह सत्ताधारी समुदाय विभिन्न पार्टियों, संगठनों और मुद्दों के क्षद्म वेश में इस प्रकार के आह्वान किया करता था। फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :