इस साल भी अनेकानेक शहरों, कस्बों, छोटे-छोटे गांवों में महिषासुर दिवस मनाया गया। इन आयोजनों के बारे में जानकरी हासिल करते हुए एक खास बात यह उभरती है कि इसके आयोजकों में ओबीसी समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। जिस ओबीसी समुदाय पर ब्राह्मणवाद की चपेट मे पडे रहने का आरोप लगाया जाता है, उसके अगुआ आज इस कदर करारी चोट करने के लिए सामने आ रहे हैं तो एक बडे सामाजिक-सांस्कृतिक उथल-पुथल का सूचक है