“दीबी-दुरगा” एक लघु फिल्म है, जिसे निरंजन कुजूर ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में दसईं गीत के माध्यम से आदिवासी इलाकोें में चाइल्ड ट्रैफिकिंग एवं अन्य सामाजिक मुद्दों के बारे में बताया गया है। जबकि इस फिल्म का वीडियो इसका मजबूत पक्ष है, जिसमें पितृसत्तात्मक समाज अपना चेहरा देख सकता है। पूनम तूषामड़ की समीक्षा
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2017 में ऑस्कर सम्मान में अश्वेतों और मुस्लिम अभिनेता को मिले प्रतिनिधित्व से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिकी समाज पर राष्ट्रपति ट्रंप के नस्लवादी अभियान का असर नहीं हुआ है, अमेरिकी समाज अभी भी उदार और लोकतांत्रिक है, एच.एल. दुसाध का विश्लेषण :
This year, Blacks and Muslims were among the Oscar winners. H.L. Dusadh says this is proof that American society continues to be democratic and liberal despite the racist campaign of President Donald Trump
लेकिन पूरी फिल्म में कहीं भी राजीव गांधी का नाम तक नहीं लिया गया और ना ही उनसे जुड़े किरदारों का हू-ब-हू नाम रखा गया है। यदि निर्देशक को केवल सेंसर बोर्ड से फिल्म को पास करवाने की गरज से ऐसा करना पड़ा, तो यह भारतीय सेंसर बोर्ड का एक घिनौना पहलू है
But Rajiv Gandhi’s name has not been mentioned even once in the film and neither have other characters been given their real names. If the director of the film was forced to use assumed names just to get his film cleared by the censor board then it is a sad commentary on the Central Board of Film Certification
हमारे समुदाय के बारे में कहा जाता है कि ‘जब हम बात करते हैं तो गाते हैं, जब हम चलते हैं तो हम नृत्य करते हैं।’ लगभग सभी आदिवासी समुदायों में संगीत और लय-ताल का ज्ञान मानो लोगों के व्यक्तित्व का अविभाज्य हिस्सा होता है। उड़िया फिल्म निर्देशक/निर्माता लिपिका सिंह दराई से राकेश कुमार सिंह की बातचीत
The film ‘Eka Gachha Eka Manisa Eka Samudra’ (A tree, a man, a sea) is my first film, which is a short documentary in Odia. It is based on my childhood memory of my music teacher, guruji, Late Prafulla Kumar Das