डिग्री प्रसाद चौहान ने छत्तीसगढ़ में महिषासुर आंदोलन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। वे दलित-आदिवासियों के सांस्कृतिक व सामाजिक अधिकारों के लिए लडने वाले जमीनी कार्यकर्ता हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें ‘शहरी नक्सली’ करार दिया है। छत्तीसगढ़ से फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :
Degree Prasad Chouhan has played a crucial role in advancing the cause of the Mahishasur movement. He is a grass-roots activist and lawyer who fights for the cultural and social rights of Dalits and Adivasis. Now the Maharashtra Police have branded him as ‘urban terrorist’. Forward Press reports from Chhattisgarh
बीते 28 अगस्त् 2018 को देश के पांच वामपंथी विचारकों को पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार को नसीहत दिया है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे मानवाधिकार का उल्लंघन माना है। विस्तार से बता रहे हैं विशद कुमार :
This post is only available in Hindi.
Visit the Forward Press Facebook page and and follow us on Twitter @ForwardPressWeb
हाल ही में देश में पांच बुद्धिजीवी सामाजिक कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आगामी 7 सितंबर तक उन्हें अपने-अपने घरों में नजरबंद रखने का आदेश दिया है। इसे लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। इसी चर्चा के बीच अपने एक लेख पर उठाये गये सवाल का जवाब दे रहे हैं प्रेमकुमार मणि :
भीमा-कोरेगांव में हिंसा को लेकर सरकार तथाकथित ‘शहरी नक्सलियों’ की धड़पकड़ कर रही है और इस क्रम में पुणे पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें वेरनॉन गोंसाल्वेस भी हैं। उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे मुंबई विश्वविद्यालय में इकनॉमिक्स में गोल्ड मेडलिस्ट रहे और कई कॉलेजों में अध्यापन किया है। बता रहे हैं अशोक झा :
सरकार के भरपूर समर्थन के बीच पुलिस ने लेखकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को इसलिए गिरफ्तार किया कि वह भारतीय समाज में उपजे असंतोष की आवाज हैं। जबकि इसी असहमति को सुप्रीम कोर्ट ने ‘सेफ्टी वाल्व’ कहा है। इसके बावजूद कथित मुख्य धारा की मीडिया इसे लाल आतंकवाद के रूप में क्यों चित्रित कर रहा है? फारवर्ड प्रेस की रिपोर्ट :