लेखक अरविंद जैन के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष समस्या यह है कि संरक्षकता सम्बन्धी प्रावधान को न पूर्ण रूप से स्वीकारा जा सकता है और न नकारा जा सकता है, न लिंग के आधार पर विभेद को अनदेखा किया जा सकता है न विभेद को स्वीकार करके प्रावधान को असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है