मीडिया के चरित्र पर सवाल उठाना अच्छी बात है। उसे मनुवादी कह देना भी ठीक ही है। उसमें वर्गीय और जातीय विविधता का नहीं होना बताना भी कोई गलत बात नहीं है। मीडिया का ऐसा चरित्र उजागर भी होता रहता है। परंतु यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि मीडिया की कोई स्थायी प्रवृत्ति नहीं रही है। बता रहे हैं भंवर मेघवंशी