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लेखक अलख निरंजन बता रहे हैं कि सीएए का विरोध इसलिए भी आवश्यक है कि जिस मंशा के साथ यह सब किया जा रहा है, उसके केंद्र में केवल मुसलमानों को अलग-थलग करना ही नहीं, बल्कि द्विजवादी वर्चस्व के खिलाफ उठ रहे विरोधों का दमन करना भी है
डॉ. आंबेडकर के धर्मपरिवर्तन और उनके व्यक्तित्व के बारे में पेरियार का यह भाषण दलित-बहुजन आंदोलन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस भाषण में पेरियार धर्म और धर्मपरिवर्तन के संदर्भ में डॉ. आंबेडकर नजरिए और इस पूरे प्रसंग में उनकी खुद की भूमिका क्या रही, इसे भी उद्घाटित कर रहे हैं
भाषा वैज्ञानिक डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपनी पुस्तक ‘खोए हुए बुद्ध की खोज’ में भारतीय इतिहास के कई अनछुए अध्याय-पहलू को उजागर किया है। वे बुद्ध, बौद्ध सभ्यता और खासतौर से प्राचीन भारतीय इतिहास को एक नए परिप्रेक्ष्य में देखने-समझने के लिए प्रेरित करते हैं
वर्तमान में भारत का संविधान जाति के उन्मूलन के लिए अनुकूल नहीं है। यह इसे मौलिक अधिकार के विपरीत मानता है, और साथ ही, यह सांप्रदायिक अनुपात को भी प्रतिबंधित करता है क्योंकि यह वर्ग-घृणा को मानता है। कहने के लिए कि जाति रह सकती है, लेकिन जाति के आधार पर विशेषाधिकारों का बना रहना सबसे बड़ी धोखाधड़ी है
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
भारतीय राजनीति में हनुमान शब्द एक प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। मसलन बिहार में कभी नीतीश लालू के हनुमान थे, तो आजकल अमित शाह को प्रधानमंत्री माेदी का हनुमान कहा जा रहा है। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने हनुमान की जाति दलित बताकर पूरी राजनीति में उबाल ला दिया है। सिद्धार्थ का विश्लेषण :