जिज्ञासु की इस किताब से शिव के संबंध में ब्राह्मणों द्वारा फैलाईं गईं बहुत-सी अनर्गल और असंगत बातों का पता चलता है और यह भी कि शिव के स्वरूप का विकृतीकरण इस हद तक किया गया कि उन्हें योगी से भोगी, कामी और गॅंजेड़ी-भॅंगेड़ी बना दिया गया। पुनर्पाठ कर रहे हैं कंवल भारती