जनगणना प्रपत्र में आदिवासी धर्म के पृथक कोड को लेकर चल रहे आंदोलन को एक नया मुकाम हासिल हुआ है। झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार की पहल पर विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया है। इस प्रस्ताव का आशय यही है कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं। उनका अपना धर्म और अपनी पहचान है। विशद कुमार की खबर
–
गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है? यह सवाल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूछा है। विशद कुमार की खबर
झारखंड में ओबीसी का आरक्षण कभी एजेंडा नहीं बन सका था। पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जब हेमंत सोरेन ने यह मुद्दा उठाया तब भाजपा सहित अन्य दलों ने इस मुद्दे को घोषणा-पत्रों में शामिल किया। सोरेन ने इस मुद्दे को फिर आगे बढ़ाया है। बता रहे हैं रवि प्रकाश
दिशोम गुरू शिबू सोरेन तीसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। संसद में उनकी मौजूदगी से देश को आदिवासी समुदाय की आवाज़ सुनने को मिलेगी। जनार्दन गोंड बता रहे हैं उनके जीवन की कहानी – कैसे बचपन में दिकुओं ने उनके पिता का साया उनसे छीना और कैसे शिबू सोरेन ने कभी न भूलने वाले राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की आधारशिला रखी
झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि पहले की खदानो के विस्थापितों के मामले तो अभी तक लंबित हैं। ऐसे में नए इलाकों में खनन का निर्णय आदिवासियों और जंगली इलाकों में रह रही आबादी के लिए खतरनाक साबित होगा। इसके लिए पेड़ों को काटना होगा और पर्यावरण संतुलन से जुड़ी समस्याएं भी खड़ी होंगी। बता रहे हैं रवि प्रकाश
With numerous cases pertaining to oustees of mining projects still pending, the decision to bring new areas under mining would spell disaster for the Adivasis and other forest dwellers, says the Jharkhand chief minister, who is also concerned about the environmental consequences
झारखंड के पलामू जिले के विभिन्न इलाकों में परहिया आदिम जनजाति के करीब पांच हजार लोग बचे हैं। हाल ही में एक गांव में टीबी के कारण छह लोगों की हालत गंभीर हो गई। जब उन्हें इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया तब चिकित्सकों ने इनके इलाज में कोताही बरती। अब वे बेमौत मरने को मजबूर हैं। विशद कुमार की रिपोर्ट
गोल्डी एम. जार्ज बता रहे हैं कि कैसे हेमंत सोरेन सरकार की पहली कैबिनेट की बैठक के निर्णय आदिवासियों के संघर्षों की स्वीकृति है. आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन के संघर्ष को स्वीकृति प्रदान करने की दिशा में मुंख्यमंत्री सोरेन द्वारा उठाया गया यह पहला महत्वपूर्ण कदम है. इस दिशा में भविष्य में बहुत कुछ किया जाना बाकी है
झारखंड में चुनाव परिणाम आ चुके हैं। वहां जेएमएम-राजद-कांग्रेस गठबंधन को जीत मिली है। इस जीत में आदिवासियों की बड़ी भूमिका है। नवल किशोर कुमार की त्वरित टिप्पणी
झारखंड में कई घटनायें सामने आयी हैं जिनमें आदिवासियों को नक्सली के नाम पर मार दिया गया। एक मामला 8 जून 2015 का है जब पुलिस ने 12 आदिवासियों को मार गिराया। अब इस मामले में हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। इस मामले में एक आरोपी डीजीपी डी.के. पांडेय स्वयं हैं। फारवर्ड प्रेस की खबर :
Forward Press also publishes books on Bahujan issues. Forward Press books shed light on the widespread problems as well as the finer aspects of Bahujan (Dalit, OBC, Adivasi, Nomadic, Pasmanda) society, culture, literature and politics
झारखंड में जमीन कब्जाने को सरकार के द्वारा लाये गये विधेयक पर चर्चा से अधिक धर्म के सवाल पर लाया गया विधेयक अधिक सुर्खियों में है। स्थानीय मीडिया भी इस विधेयक को हवा दे रही है। मंशा साफ है कि लोग जमीन पर कब्जा वाले विधेयक की चर्चा ही न करें। लेकिन इसके उलट झारखंड में सरकार के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। पूरे घटनाक्रम पर नवल किशोर कुमार की रिपोर्ट :
The ‘Religious Freedom’ Bill has grabbed the headlines, so much so that no one is talking about the controversial Bill on land acquisition. That is exactly how the government wanted it though, and the local media is doing its bit keep the real issue at bay