दरअसल उत्तर प्रदेश और बिहार में सभ्य, शांत, और सौम्य राजनीति करके सत्ता पाना तक़रीबन नामुमकिन है। इसकी एक वजह जातियों की गोलबंधी और एक दूसरे पर अपनी दबंगई साबित करने की होड़ भी है। ऐसे में दलित और पिछड़े अपने नेता तक न सिर्फ सीधी पहुंच रखने की उम्मीद में समर्थन करते हैं बल्कि चाहते हैं कि उनका नेता, उनके हिस्से की लड़ाई लड़े और उनके हिस्से के संघर्ष करे। सैयद जै़ग़म मुर्तजा का विश्लेषण