जेएनयू प्रशासन ने 22 दिसम्बर को एक सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया कि स्नातक, स्नातकोतर छात्रों ही नहीं, बल्कि एमफिल और पीएचडी शोधार्थी को भी अपनी हाजरी देनी होगी। यदि यह फरमान लागू होता है तो इससे जेएनयू के आजाद और प्रगतिशील चरित्र पर क्या असर होगा, इसका विश्लेषण कर रहे हैं, अखिलेश कुमार और अभय कुुमार :