आदिवासियों की संस्कृति में समानता की बात होती है। इसे मैं एक उदाहरण देकर समझता हूं। मान लें कि कोई सामंतवादी है। वह कहीं डांस देखने जा रहा है। वह जिसका डांस देख रहा है, वो ना तो उसकी मां है, ना बीवी, ना बहन। वह वहां एक दर्शक है। लेकिन आदिवासी समाज में कोई दर्शक और कोई कलाकार नहीं होता। जो अभी डांस देख रहा है, दर्शक है, लेकिन थोड़ी देर में वह खुद डांस करेगा और तब वह सहभागी भी होगा। प्राख्यात फिल्मकार मेघनाथ भट्टाचार्य से प्रियंका की खास बातचीत