आखिरकार महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय को छात्रों की एकता के सामने झुकना पड़ा। भगत महतो का पीएचडी में प्रवेश का रास्ता साफ हो गया। जिसे विश्वविद्याल ने मनमाने तरीके से रद्द कर दिया था। लेकिन प्रश्न यह है कि ऐसी स्थिति पैदा ही क्यों हुई? पूरे घटनाक्रम के बारे में बता रहे हैं, कमल चंद्रवंशी :